Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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मुखौटा
नक़ली चैहरो के नक़ली शहर में घूम रहे लिए नक़ली मुखौटा, मन में राम बगल में छुरी ,राम राम की माला जपता मुखौटा। दुनिया की…
उम्र लग गई
ख्वाब छोटा-सा था, बस पूरा होने मे उम्र लग गईं! उसके घर का पता मालूम था , बस उसे ढूंढने मे उम्र लग गईं !…
हम क्या-क्या भूल गये
निकले हैं हम जो प्रगति पथ पर जड़ों को अपनी भूल गये मलमल के बिस्तरों में धँस के धरा की शीतलता भूल गये छूकर चलते…
भोजपुरी गीत- ई संसार ना मिली |
विश्व पर्यावरण दिवस की हार्दिक बधाई | भोजपुरी गीत- ई संसार ना मिली | बचावा तनी धरती माई मौका फिर तोहार ना मिली | मिटावा…
मुखौटे
मुखौटे लगा कर घूम रहे बहुत आदमी हैं। किसी ने मुखौटा लगा कर हॅंसाया, किसी ने मुखौटा लगा कर डराया। कोई रो रहा है मुखौटा…
बहुत बहतरीन मेरी रचना प्रतियोगिता में है आप कमेन्ट करें
Jarur
Waah
Very nice