ठहरी हुई वो शाम
ठहरी हुई वो शाम ,
हाथों पे स्याही से लिखा
वो नाम
चलती हुई सी वो सड़क
साथ चलना बस यूँ ही
हाथ उनका थाम
मुस्कुराहटों में उनकी
ढूंढना खुशियाँ दबी
देखना कनखी से उनको
और नजरे भर कभी
धीरे धीरे पग बढाना
रास्ता लम्बा चले
आँखों में भरने को उनको
और ज्यादा शब मिले
माँगना कुछ और घंटे
माँगना मंदिर के आगे
लम्बी कर दे शाम
चलती हुई सी वो सड़क
साथ चलना बस यूँ ही
हाथ उनका थाम
चलती हुई सी वो सड़क…nice imagination brother
bahut khoob 🙂
nice one