निवेदन
निवेदन
——–
ऐ पथिक
राह दिखा मुझे
मुख न मोड़
चल साथ मेरे
भारत आजाद कराना है
धर्म मेरा ही नहीं
तेरा भी है
भयभीत न हो
विचार तो कर
ध्वज हाथों में है
अब आगे जाना है
कालान्तर में तुम
होगे न हम
किन्तु कर्म सदैव
साथ रहेगा
मेरा निवेदन स्वीकार कर
विजयी होकर ही
आना है
समर में हम ही
वरन
हम जैसे सैकड़ो
है खड़े
लड़ने को
मरने को
और देश के लिए
बहुत कुछ करने को
– मनोज भारद्वाज
bahut khoob
bahut sundar
जय हिंद