Barbarta
Note: एक छोटी सी कविता यह दर्शाते हुए की किस तरह एक भीड़ दंगो का रूप ले लेती है और कौन उसे इतना भड़काता है
बर्बरता
वोह बोले हमसे वार करो,
न चुप बैठो प्रहार करो,
जो औरत, बूड़े, बच्चे आये,
टूकड़े तुम हज़ार करो ।
आतंकी रथ सवार करो,
और मृत्यु का प्रचार करो,
यमलोक भी थर-थर कांप उठे,
ऐसा भीषण नरसंहार करो ।
असुरो को त्यार करो,
और मानवता की हार करो,
धरती का धड़ चीर-फाड़ के,
नर्क का तुम आविष्कार करो ।
विवेक का भहिष्कार करो
बर्बरता का विस्तार करो
सत्ता पर हम जड़े जमा लें,
सपना तुम साकार करो ।
-पियूष निर्वाण
Bahut khoob piyush ji 🙂
Dhanyawad..
nice one …
Thank you..
behtareen piyush ji
Dhanyawad alok ji
Awesome 🙂
Thank you..
Everyone plz share if you like.
वाह