अंधेरी रात है और चांद निकल आया है
अंधेरी रात है और चांद निकल आया है
ये मेरी जुल्फ है या फिर किसी का साया है।
तू मेरे दिल से गया है निकल के जिस दिन से
मैने तेरे जैसा एक आईना बनाया है।
छोड़ कर जाते भी हैं फिर वहीं आ जाते हैं
आपने भूलभुलैया सा दिल बनाया है।
वो कौन था जो मेरे सामने खड़ा था अभी
ये कौन है कि जिसने सीने से लगाया है।
ताज़्जुब है कि ये मुझ पर असर नहीं करता
ये तुमने दर्द भरा शेर जो सुनाया है।
हवस बिलखती थी दिन रात मेरे कदमों में
मैंने इक आदमी को देवता बनाया है।
ये दिल है उसका और वो किसी की बांहों में
वो अपना है या फिर कहूं कि वो पराया है ।
अलग रुआब से वो आज मिला था हमसे
पता चला वो किसी जिस्म से नहाया है।
अभी अभी खबर मिली थी मेरे मरने की
वो इतना खुश है कि अखबार बेंच आया है।
नमाज उसने पढ़ी थी अभी मेरे हक में
ना जाने कौन बुत में जान फूंक आया है।
बोझ क्या जानेंगे मेरा ये जमाने वाले
लाश को अपनी मैंने कंधों पर उठाया है।
रख के मुस्कान अपने होंठों पे मैंने ‘प्रज्ञा
अपने दूल्हे को किसी के लिए सजाया है।
Kavyarpan
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