अचरज भरा आकाश

अचरज भरा आकाश है
कहीं धूप है कहीं छांव है
आसमान की चादर में
सितारों के बूटे हैं
बादलों के घोड़े हैं
जो दौड़ते हैं इधर-उधर
जुगनू भी अपनी प्रेयसी को
ढूंढते हैं रात भर
चाँदनी है छितरी हुई
सबकी छतों पर इस तरह
रजत पिघलाकर किसी ने
फैला दिया हो जैसे हर जगह…

Related Articles

वो मोती

अचरज भरा आकाश है कहीं धूप है कहीं छांव है आसमान की चादर में सितारों के बूटे हैं बादलों के घोड़े हैं जो दौड़ते हैं…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

Responses

  1. चाँदनी है छितरी हुई
    सबकी छतों पर इस तरह
    रजत पिघलाकर किसी ने
    फैला दिया हो जैसे हर जगह”
    वाह वाह, बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति प्रज्ञा जी।

  2. प्राकृतिक सौंदर्य का अनूठा वर्णन, बहुत ही खूबसूरती से बयां किया है।
    वाह, अति सुंदर प्रस्तुति ।

+

New Report

Close