Categories: मुक्तक
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दुर्योधन भले हीं खलनायक था ,पर कमजोर नहीं । श्रीकृष्ण का रौद्र रूप देखने के बाद भी उनसे भिड़ने से नहीं कतराता । तो जरूरत…
मिस्टर लेट लतीफ
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सुन्दर
बहुत खूब
आदरणीय पंडित विनय शास्त्री जी, आपको सर्वश्रेष्ठ आलोचक का सामान मिलने पर बहुत सारी बधाई, सावन को धन्यवाद, इससे साबित होता है कि साहित्य की आलोचना आम जीवन की बुराई करने वाली जैसी आलोचना नहीं होती है, बल्कि कवि की संवेदना व् शिल्प पर उसे प्रोत्साहित करना सच्ची साहित्यिक आलोचना होती है, कविता की कमियां ढूंढकर की गयी आलोचना अच्छी साहित्यिक आलोचना नहीं होती है, अतः आपको बधाई , सावन से सही व्यक्ति चुने।
कृपया आप सब एक दूसरे को ताने मारना बन्द करें।
सिर्फ कविता लिखें और दूसरे की कविताओं का आनंद लें।
आप सब बड़े हो चुके हैं बच्चों की तरह पेश मत आइए।
सुन्दर