अधम बन जाते बाल्मिकि

आगे बढ़ने की होड़
जन कठिनता का कारण
सीखने-सिखाने की प्रवृति बना
नर उत्तमता करता धारण

बीती बातों से नफ़रत पलता
इंसान तो हर दिन बदलता
बुराई को तजकर नित दिन
अच्छाई का करता जाता वरण

अधम बन जाते बाल्मिकि
निरक्षरता मिटती जाती है
पलती शत्रुता जिसके लिए
उसका भूत में ही होता हरन

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

अपहरण

” अपहरण “हाथों में तख्ती, गाड़ी पर लाउडस्पीकर, हट्टे -कट्टे, मोटे -पतले, नर- नारी, नौजवानों- बूढ़े लोगों  की भीड़, कुछ पैदल और कुछ दो पहिया वाहन…

Responses

  1. ‘अधम बन जाते बाल्मीकि’ में कवि ने भाव प्रधान कविता का सृजन किया है। कविता के भाव की लय ऐसी है जिससे पाठक सहज ही इससे जुड़ाव बना लेगा। भाव के साथ साथ कवि ने बहुत कम शब्दों में सारगर्भित बात कही है।

+

New Report

Close