अपना बनाया क्यों
जब भूलना ही था तो अपना बनाया क्यों।
भटके को सही राह, तुमने दिखाया क्यों।
तन्हा हम कैसे भी हो, जी ही तो रहे थे,
उम्मीद का शम्मा जला, तुमने बुझाया क्यों।
भूलने की बात से, एक तूफान सा उठा है,
कश्ती को मझधार से, तुमने बचाया क्यों।
छोड़ दिया होता हमारे हाल पे उसी वक्त,
गमे-जुदाई दिल पर, तुमने लगाया क्यों।
आज हाल ये है, न ही जीते हैं, न मर सकते,
हाथ थाम कर मरने से, तुमने बचाया क्यों।
तुम्हें भूल पाना नामुमकिन सा लगता है,
इतना प्यार मुझ पर, तुमने लुटाया क्यों।
तेरे बगैर रह नहीं सकता, साथ न छोड़ना,
कुछ कर गुजरूं तो ना कहना, नहीं बताया क्यों।
देवेश साखरे ‘देव’
Nice
Thanks
Wah
धन्यवाद
Wah
धन्यवाद
वाह बहुत सुंदर
धन्यवाद