अपनी कश्ती खुद चलाओ
अपनी कश्ती खुद ही चला कर
दिखदो मंजिल को पास ले आकर
नहीं कुछ भी ऐसा जो तेरे बस में नहीं हैं
कर सकते हो, बढ़ो बस ये अहसास जगाकर।
आसान से गर मिल ही गया जो
मोल का अहसास कब कर सकेगे
चुभन का स्वाद गर न लगा तो
हासिल करने का जुनून कैसे पैदा करेंगे
चखेंगे स्वाद जी तोड मेहनत का फल उगाकर
कर सकते हो, बढ़ो बस ये अहसास जगाकर।
चखेंगे स्वाद जी तोड मेहनत का फल उगाकर
कर सकते हो, बढ़ो बस ये अहसास जगाकर।
———- बहुत खूब, अति उत्तम रचना।
अपनी कश्ती खुद ही चला कर
दिखदो मंजिल को पास ले आकर
नहीं कुछ भी ऐसा जो तेरे बस में नहीं हैं
__________ उत्साह प्रदान करने वाली बहुत सुन्दर कविता, कवियित्री सुमन जी की अति उत्तम रचना,
बहुत ही सुंदर