अपनी पृथ्वी बचालो

अपनी पृथ्वी बचालो – पृथ्वी दिवस पर मेरी नवीन रचना

हे भूमिपुत्र आज अपनी, पृथ्वी को बचालो तुम,
स्वार्थों से दूर रहकर हाथ अपने मिला लो तुम।
पृथ्वी खतरे में है यारों, पर्यावरण बचा लो तुम,
प्रदूषणमुक्त कर पृथ्वी को काल से बचालो तुम।।

मानव अपनी बुद्धि से चांद पर कब्जा कर रहा,
नित नये नये आविष्कार से प्रकृति को छेड़ रहा।
अणु परमाणु खोज कर शक्तिशाली भी हो रहा,
पर मानव अतितरक्की से मानवता भी खो रहा।।

अति महत्वाकांक्षा के कारण जंगल नष्ट हो गये,
कारखानों की गंदगी से नदी नहर दूषित हो गये।
ध्वनि और वायु प्रदूषण से शहर प्रदूषित हो गये,
महिलाओं के अपमान से ईश्वर भी कूपित हो गये।।

तभी कोरोना काल बन मानव जाति पर छाया है,
हमारी ही गलतियों से, मौत का तांडव मचाया है।
वृक्षों के कटने से पृथ्वी पर, घोर संकट आया है,
इम्युनिटीपाॅवर घटने से वायरस सक्रिय हो पाया है।।

अब भी समय है भूमिपुत्रों, अपनी पृथ्वी बचालो,
वृक्ष लगाकर जगह जगह, मानव जीवन बचालो।
प्रदूषण मुक्त कर पृथ्वी को, प्रकृति से सजालो,
हे भूमि पुत्र कोरोना से भी, अपनी पृथ्वी बचालो।।

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