“अपनेपन का एहसास”
क्यों अपनों के बीच
अपनेपन का एहसास नहीं होता
क्यों वो हर एहसास खास नहीं होता
कुछ तो कमी होगी मेरे ही अन्दर,
जो कोई अपना होकर भी साथ नहीं देता….
क्यों अपनों के बीच
अपनेपन का एहसास नहीं होता
क्यों वो हर एहसास खास नहीं होता
कुछ तो कमी होगी मेरे ही अन्दर,
जो कोई अपना होकर भी साथ नहीं देता….
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सत्य वचन
जी धन्यवाद
यूं लग रहा है जैसे
दर्द का एक जाम पी लिया
आपकी कविता ने मन को भाव विभोर कर दिया..
उच्चकोटि का शिल्प और संवेदना की प्रबलता है आपकी लेखनी में||
बहुत खूब लिखा है..
धन्यवाद सराहना हेतु
कहने को तो कहती हैं ये दुनिया
साथ देंगे हम तुम्हारा
जब काम आती हैं साथ देंगे को
तो क्यूं साथ छोड़ देती ये ज़माना