अब के दशहरे
चलो ! अब के दशहरे ,
नया कोई चलन करते हैं।
भला कब तक जलाते रहें,
लकड़ी का रावण,
मन में जो बैठा है,
उसी का आज दहन करते हैं,
चलो अब के दशहरे !
नया कोई चलन करते हैं।
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Pragya Shukla - October 21, 2020, 3:12 pm
Nice thought
Geeta kumari - October 21, 2020, 3:43 pm
अति सुन्दर भाव एवम् प्रस्तुति
Satish Pandey - October 21, 2020, 3:46 pm
सुन्दर अभिव्यक्ति
Rishi Kumar - October 21, 2020, 5:59 pm
Nice
Praduman Amit - October 21, 2020, 6:19 pm
बहुत ही सुन्दर भाव है।
Suman Kumari - October 21, 2020, 11:15 pm
बिलकुल सही सोच ।
सुन्दर अभिव्यक्ति
मोहन सिंह मानुष - October 22, 2020, 3:52 am
आप सभी का हार्दिक धन्यवाद 🙏 🙏