अब फकत एक ही चारा है..

‘अब फकत एक ही चारा है बस दवा के सिवा,
कोई सुनता, न सुनेगा यहाँ खुदा के सिवा..

खुदा के मुल्क में इक बस इसी की कीमत है,
कोई सिक्का नही चलता वहाँ दुआ के सिवा..

ऐसे गुलशन की हिफाज़त को कौन रोकेगा,
जहाँ कांटें भी फिक्र में हों बागबां के सिवा..

तू ये न सोच फकत आसमाँ ने देखा है,
गवाही और भी कई देंगे कहकशाँ के सिवा..

एक बस मेरी ही आवाज़ न पहुँची उस तक,
वरना हर दिल को सुना, उसने इस सदा के सिवा..

अब फकत एक ही चारा है बस दवा के सिवा,
कोई सुनता, न सुनेगा यहाँ खुदा के सिवा..’

– प्रयाग धर्मानी

मायने :
फकत – सिर्फ
चारा – रास्ता
बागबां – माली
कहकशाँ – आकाशगंगा
सदा – आवाज़

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