अब रहा न सहारा किसी का
तेरी चौखट पर सब एक दिन दुनिया से हार के मस्तक नवाता ।
तेरा आशिष मिले बेगैर किसी का उद्धार ना होता ।।
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अब रहा न सहारा किसी का,
एक तेरे अलावा ।
जहां ने लाख ठोकरे लगायी,
पर तुमने ही मुझको संभाला ।।
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अब रहा न सहारा किसी का,
एक तेरे अलावा ।।1।।
—
सुख में जो तुमको भूल जाते,
प्रभु तुम उनके दुख की घड़िया हो काटते ।
सबके उर में एक दिन परम ज्योत जलाके,
प्रभु तुम सबके जीवन नईया पार लगाते ।।
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अब रहा न सहारा किसी का,
एक तेरे अलावा ।।2।।
—
लाख सपने दफनते है इस दिल में
और ये छली दुनिया रोज मुझको छलते
जिस पर विश्वास करूँ, वहीं एक दिन दगा देते
किस पर विश्वास करूँ, ये बात समझ नहीं पाते ।।
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अब रहा न सहारा किसी का,
एक तेरे अलावा ।।3।।
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ओ मेरे मालिक, मेरे दाता ओ जग के तारनहार ।
तेरे सिवा इस जहां में कोई किसी का ना होता ।
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अब रहा न सहारा किसी का,
एक तेरे अलावा ।।3।।
—
जहां ने लाख ठोकरे लगायी
पर तुमने ही मुझको संभाला ।
अब रहा न सहारा किसी का,
एक तेरे अलावा .। ।
कवि विकास कुमार
प्रभु पर विश्वाश बनाती हुई बहुत सुंदर कविता
ईश्वर में विश्वास सबसे बड़ी ताकत है, बहुत ही सुंदर पंक्तियां
ईश्वर पर आस्था रखने के लिए समझाती रचना