अभिवादन सम्मान

निद्रा में था रात भर, उठूँ धरूँ अब ध्यान,
मात-पिता गुरु देव का, अभिवादन सम्मान,
अभिवादन सम्मान, बड़ों का करूँ पूज लूँ,
ले उनसे आशीष, राह में कदम बढ़ा लूँ।
कहे कलम आशीष, एक अनमोल है मुद्रा,
उसे पास रख कदम बढ़ा तू त्याग दे निद्रा।

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जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

Responses

  1. कहे कलम आशीष, एक अनमोल है मुद्रा,
    उसे पास रख कदम बढ़ा तू त्याग दे निद्रा
    ________ कवि सतीश जी को छंद शैली में लिखी हुई एक अनमोल रचना, सच ही तो है आशीर्वाद से बढ़कर कोई मुद्रा नहीं है, बहुत सुंदर विचार प्रस्तुत करती हुई लाजवाब अभिव्यक्ति,उत्तम शिल्प, शानदार लेखन,लेखनी को अभिवादन

  2. निद्रा में था रात भर, उठूँ धरूँ अब ध्यान,
    मात-पिता गुरु देव का, अभिवादन सम्मान,
    अभिवादन सम्मान, बड़ों का करूँ पूज लूँ,
    ले उनसे आशीष, राह में कदम बढ़ा लूँ।

    माता पिता तथा गुरुजनों का आशीर्वाद पाने को उत्सुक कविता

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