अभी कहाँ तू थककर बैठ गया ! तुझे क्षितिज तक जाना है…
जीवन में उत्साह हो
मन नाचे बनकर मोर
हे युवा ! तू परिश्रम कर
सफलता मिलेगी घनघोर
अभी तो तूने जीवन की
बस एक दोपहरी देखी है
अभी तो तूने सावन की
बस पहली बारिश देखी है
अभी तो तुझको अपनी हथेली पर
भाग्य का दिनकर उगाना है
भावों का मंथन करके तुझको
साहित्य का सागर पाना है
अभी कहाँ तू थककर बैठ गया
तुझे क्षितिज तक जाना है….
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jeet rastogi - April 6, 2021, 9:04 pm
अभी तो तूने जीवन की
बस एक दोपहरी देखी है
अभी तो तूने सावन की
बस पहली बारिश देखी है…
वाह क्या खूब लिखा है
सुंदर लयात्मक तथा संगीतमय रचना
युवा को अपने जीवन में आगे बढ़ने को तथा खूब प्रेरित करती हुई रचना
Pragya Shukla - April 7, 2021, 10:39 pm
Thanks
jeet rastogi - April 6, 2021, 9:04 pm
परिश्रम करने को प्रेरित करती रचना
Pragya Shukla - April 7, 2021, 10:39 pm
Thank you
Pt, vinay shastri 'vinaychand' - April 7, 2021, 3:19 pm
बहुत सुंदर
Pragya Shukla - April 7, 2021, 10:40 pm
धन्यवाद
Geeta kumari - April 8, 2021, 4:32 pm
हे युवा ! तू परिश्रम कर
सफलता मिलेगी घनघोर
_______ परिश्रम करने का सुंदर संदेश देती हुई कवि प्रज्ञा जी की बहुत सुंदर रचना
Pragya Shukla - April 8, 2021, 11:03 pm
Thanks
Ajay Shukla - April 9, 2021, 9:57 am
Speechless poem
Pragya Shukla - April 11, 2021, 5:09 pm
Tq