असामान्य समय

घड़ी तो घड़ी है
साधारण हो या फिर असामान्य।
पर समय बड़ा हीं
होता जग में सदा से असामान्य।।
टिक – टिक करती सूई वाली।
अपने हीं चाल में चलने वाली।।
डिजिटल घड़ी में अंकों का मेल।
जिसे चलाए व दर्शाए विद्युत सेल।।
चाभी वाली हो या विद्युतवाली
जग में दोनों है अतिमान्य। । घड़ी तो घड़ी है………
भरके सिक्ता काँचपात्र में
पूर्वकाल में घड़ी बनाया।
उलट – पुलट कर यंत्र हमारा
सतत समय सबको बतलाया ।।
साधारण से असामान्य बनी
पर समय सदा असामान्य रहा।
‘विनयचंद’ नहीं केवल भैया
जग के सब गणमान्य कहा।।

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

Responses

  1. समय बड़ा हीं
    होता जग में सदा से असामान्य।।
    टिक – टिक करती सूई वाली।
    अपने हीं चाल में चलने वाली।।
    __________ समय और घड़ी पर कवि विनय चंद शास्त्री जी की अति उत्तम और सुंदर रचना

  2. घड़ी तो घड़ी है
    साधारण हो या फिर असामान्य।
    पर समय बड़ा हीं
    होता जग में सदा से असामान्य।।
    टिक – टिक करती सूई वाली।
    अपने हीं चाल में चलने वाली।।

    समय का पहिया घूमता रहता है समान्य गति से फिर चाहे किसी का समय बदले या ना बदले

    सुंदर तथा विचारणीय रचना

+

New Report

Close