Categories: शेर-ओ-शायरी
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रिश्ते
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कहीं न कहीं दोनो चीजें एक दूसरे से मेल खाती हैं, जो सुख दुख में साथ देता है वही तो अपने पन का अहसास देता है।
समीक्षा के लिए धन्यवाद वसुंधरा जी
अति सुंदर
बहुत बहुत धन्यवाद देवी जी
कविता के माध्यम से कवि रिश्तों पर प्रकाश डालते हुए यह बताना चाहती हैं कि अपनेपन का अहसास कराने वाले भी अपने ही होते हैं। इन पंक्तियों के माध्यम से कवि अपने कथ्य को प्रकट करने में सफल हुई हैं। चार पंक्तियों की यह कविता यथोचित संदेश देने में सफल रही है। प्रथम दो पंक्तियाँ समान मात्रिक छंद युक्त हैं। शेष दो पंक्तियाँ विषम मात्रिक हैं, साथ ही लय का अच्छा संधान है। भाषा सरल और सुबोध है।
इतनी सुंदर समीक्षा सर , आपकी विद्वता की ही द्योतक है । मात्र चार पंक्तियों की कविता के भाव की बहुत सुंदर व्याख्या की है ।कविता के भावों को इतनी अच्छी तरह समझने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद, आभार सर 🙏
बहुत खूब
बहुत बहुत धन्यवाद पीयूष जी 🙏
मस्त
Thank you .
बहुत खूब
बहुत शुक्रिया आपका भाई जी 🙏