*अहोई-अष्टमी के तारे*
बच्चों का मंगल मनाती,
आई अहोई-अष्टमी
चांदी के मनकों की,
मां, मंजुल माला पहनती
मां दिन भर व्रत है करती
चांदी के मोती-मनके पिरोकर
बच्चों की शुभ-कामना करती
हलवा-पूरी का भोग बनाकर,
अहोई माता की हो वन्दना
दीप जलाकर करें कथा,आरती
सुत-सुता हेतु, शुभ-कामना
हर मां की है, यही भावना
आंखों के तारों के शुभ हेतु,
आसमान के तारों को जल देती मां
दीप जलाकर करे आरती,
कितना शगुन मनाती मां
मां, सी कोई और ना होगी,
कितनी प्यारी होती मां ।
*****✍️गीता
अतिसुंदर भाव अतिसुंदर रचना
माँ तो माँ होती है
माँ का क्या कहना?
सादर प्रणाम भाई जी 🙏 बहुत बहुत धन्यवाद
अति सुंदर एवं जानकारी भी मिल गई मुझे…👌👌👌👌
बहुत बहुत धन्यवाद प्रज्ञा ।
Bahut sundar rachana
Thank you sir
Very good👍👍
Thank you