आईना

जला दो इतने दीपक ज़माने में,
के किसी कोने में अब रात की कोई स्याही ना दिखे,
दिखा दो सच के आईने ज़माने को ऐसे,
के किसी को झूठे चेहरों की कोई परछाई ना दिखे,
फैला दो एक अफवाह ये भी ज़माने में,
के गुनाह और गुनहगार का नामोनिशां ना दिखे॥
राही (अंजाना)
bahut khoob
Thanks
That’s really thniking at a high level