आओ दो बोल सुना जाओ ना
आओ दो बोल
सुना जाओ ना,
गीत के बोल
सुना जाओ ना।
हो गए दिन बहुत
सुना ही नहीं,
अपने उदगार
सुना जाओ ना।
सूनी सूनी सी फिजायें हैं अब
सारी मुरझाई दिशाएं हैं अब,
वो घनी रात थी वो बीत गई
वो कड़ी धूप थी जो बीत गई,
अब तो बारिश जरा सा होने लगी,
आपके बिन हँसी भी रोने लगी,
थाम लो आप अब कलेजे को
आओ दो बोल सुना जाओ ना
अपने उदगार सुना जाओ ना।
सुमधुर रचना
धन्यवाद चंद्रा जी
बहुत खूब
बहुत बहुत धन्यवाद
बहुत खूब
बहुत धन्यवाद
बहुत ही सुन्दर।
बहुत धन्यवाद
कोमल भावनाओं को व्यक्त करती हुई अति सुन्दर और सुमधुर रचना
सुन्दर रचना