आज वे भी चले गए
आज वे भी चले गए
उस यात्रा में
जहाँ से फिर कोई
लौट कर नहीं आता है।
अक्सर बीमार ही रहते थे
जब से सेवानिवृत होकर
घर लौटे थे,
तब से बीमार ही तो देखे थे।
हाँ बचपन में हमने देखा था उन्हें
जवान से,
घर आते थे जब अपनी ग्रेफ
रेजिमेंट से,
कितने हट्टे-कट्ठे पहलवान से।
हम कहते थे
पड़ौस के फौजी चाचा आये हैं
मिठाइयां लाये हैं।
पापा के भी जिगरी सखा थे
हमें अच्छी राह दिखाने वाले
सच्चे सरल कका थे
बचपन में ही रोजगार की खातिर
घर छोड़ा,
हिमालय और पूर्वोत्तर की
ठंडी चोटियों में तैनात होकर देश सेवा की।
रोगग्रस्त होने के वावजूद भी
मन से आनंदित रहने वाले
सबको स्नेह देने वाले
ऐसे परमानंद चचा थे
उन सा शायद ही कोई व्यक्ति हो
जो मन की पीड़ा को मन में ही पचा दे।
अंतिम विदाई पर उन्हें
कलम से श्रद्धांजलि है
ईश्वर के चरणों पर जगह
मिले उस पावन आत्मा को
कविता से श्रद्धांजलि है।
——— डॉ. सतीश पांडेय, चम्पावत
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Pt, vinay shastri 'vinaychand' - August 10, 2020, 6:23 pm
अतिब, अच्छी रचना
Satish Pandey - August 11, 2020, 4:17 pm
🙏🙏
Kumar Piyush - August 10, 2020, 8:13 pm
मार्मिक
Satish Pandey - August 11, 2020, 4:18 pm
🙏🙏
महेश गुप्ता जौनपुरी - August 10, 2020, 8:19 pm
मार्मिक चित्रण
Satish Pandey - August 11, 2020, 4:19 pm
🙏🙏
Shyam Kunvar Bharti - August 10, 2020, 9:03 pm
बेहद मार्मिक रचन वे भी चले गए
Satish Pandey - August 11, 2020, 4:19 pm
🙏🙏
Geeta kumari - August 10, 2020, 10:25 pm
ह्रदय स्पर्शी रचना
Satish Pandey - August 11, 2020, 4:20 pm
🙏🙏
Suman Kumari - August 10, 2020, 11:07 pm
सुन्दर
Satish Pandey - August 11, 2020, 4:20 pm
🙏🙏
मोहन सिंह मानुष - August 11, 2020, 2:01 am
🙏 भावपूर्ण श्रद्धांजलि
Satish Pandey - August 11, 2020, 4:25 pm
🙏🙏
Renu Tiwari - August 11, 2020, 11:05 am
Nice
Satish Pandey - August 11, 2020, 4:26 pm
🙏🙏
Shraddha Forest - August 11, 2020, 3:32 pm
सुंदर रचना
Satish Pandey - August 11, 2020, 4:18 pm
🙏🙏