आम का बाग़
भगवान् की कृपा से मैने आमों के पेड़ों से भरा इक घर पाया
हरेक पेड़ ने अलग-अलग रंग रूप पाया
सबका आकार अलग,महक अलग
फ़िजा में अलग ही महक उठी जब पेड़ों पर बौर आया
जब पेड़ों पर फल आया तो सब का मन ललचाया
फिर सब आमों से स्वाद भी अलग-अलग आया
फिर आमों ने मुझे भिन्न-भिन्न किरदारों से मिलवाया
किसी ने मांगे आम खुद तो किसी के घर मैने भिजवाया
बहुतों को स्वाद खूब भाया तो कुछेक के मन को छू नहीं पाया
किसी ने भगवान जी को भोग लगाया तो किसी ने आभार जताया
किसी ने जब लालच दिखाया तो माली को गुस्सा आया
किसी ने अपनी पाक कला का नमूना दिखाया
तो किसी ने पकवान बना कर चित्र भिजवाया
आम बाँटते मुझे खुद का भी भिन्न रूप नजर आया
इस उत्सव ने मुझे जीवन का नूतन और अविस्मरणीय अनुभव करवाया।
nice
Thanks
Nice
Thanks
Very nice
Thanks
वाह वाह , बहुत खूब
शुक्रिया जी
वाह, आमों पर बहुत सुंदर कविता
फलों के राजा आम पर शानदार कविता