आम का बाग़

भगवान् की कृपा से मैने आमों के पेड़ों से भरा इक घर पाया
हरेक पेड़ ने अलग-अलग रंग रूप पाया
सबका आकार अलग,महक अलग
फ़िजा में अलग ही महक उठी जब पेड़ों पर बौर आया
जब पेड़ों पर फल आया तो सब का मन ललचाया
फिर सब आमों से स्वाद भी अलग-अलग आया
फिर आमों ने मुझे भिन्न-भिन्न किरदारों से मिलवाया
किसी ने मांगे आम खुद तो किसी के घर मैने भिजवाया
बहुतों को स्वाद खूब भाया तो कुछेक के मन को छू नहीं पाया
किसी ने भगवान जी को भोग लगाया तो किसी ने आभार जताया
किसी ने जब लालच दिखाया तो माली को गुस्सा आया
किसी ने अपनी पाक कला का नमूना दिखाया
तो किसी ने पकवान बना कर चित्र भिजवाया
आम बाँटते मुझे खुद का भी भिन्न रूप नजर आया
इस उत्सव ने मुझे जीवन का नूतन और अविस्मरणीय अनुभव करवाया।

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

करम

मेरे महबूब का करम मुझ पर जिसने मुझे, मुझसे मिलवाया है नहीं तो, भटकता रहता उम्र भर यूं ही मुझे उनके सिवा कुछ भी न…

Responses

+

New Report

Close