आशा जगाते रहूँ

गीत लिखते रहूँ
मैं सुनाते रहूँ,
सो गए को जगाते रहूँ।
गर उठें भाव टूटन के मन में
बन रबर मैं मिटाते रहूँ।
निराशा हटाते रहूँ,
आशा जगाते रहूँ,
प्यार भावना को जगा
मैं मुहब्बत लुटाते रहूँ।
झकझोर कर आदमी को
आदमियत बताते रहूँ,
हो रही हो गलत बात तो
अंगुली उठाते रहूँ।
गीत लिखते रहूँ
मैं सुनाते रहूँ,
सो गए को जगाते रहूँ।
गर उठें भाव टूटन के मन में
बन रबर मैं मिटाते रहूँ।

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Responses

  1. गीत लिखते रहूँ
    मैं सुनाते रहूँ,
    सो गए को जगाते रहूँ।
    गर उठें भाव टूटन के मन में
    बन रबर मैं मिटाते रहूँ।
    _____________ कवि सतीश जी की गीत लिखने की और दूसरों को भावनात्मक सहारा देने की बहुत ही सुंदर रचना सुंदर भाव और सुंदर शिल्प लिए हुए मीठी लयबद्धता में, बहुत ही श्रेष्ठ रचना लाजवाब अभिव्यक्ति

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