आहट

आकाश-सी फैली
ख़ामोशियों में भी
ये कैसी अनुगुंज फैली है
इन स्याह-सी वीरान रातों में
तेरे आने की आहट सुनाई देती है ।
तू नहीं फ़िर भी
यह इन्तज़ार क्यूँ है
तुझसे ही सारी शिकायतें
फ़िर तुझीसे इक़रार क्यूँ है
मन की यह डोर
खींची तेरे पास आती है
तेरे आने की आहट सुनाई देती है ।

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Responses

  1. आकाश-सी फैली
    ख़ामोशियों में भी
    ये कैसी अनुगुंज फैली है
    इन स्याह-सी वीरान रातों में
    तेरे आने की आहट सुनाई देती है
    बहुत खूब सुमन जी
    आपकी कविताओं की अच्छी बात यह है कि
    आप शब्दावली
    अच्छी यूज करती हो और भाव भी
    इसलिए आपके शिल्प पर कोई सवाल ही
    नहीं उठता…

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