आह,लगेगी उस गुड़िया की
आह लगेगी उस गुड़िया की,
बच तो तुम भी ना पाओगे
हर बेटी देश की, आवाज़ उठाएगी,
तुम भी बख़्शे नहीं जाओगे
“सूली चढ़वाऊंगी, फांसी लगवाऊंगी,
अपने हत्यारों को सज़ा दिलाने,
पुनर्जन्म ले कर भी आऊंगी
पुनर्जन्म ले कर भी आऊंगी “..
बहुत बेहतरीन पंक्तियाँ, दबंग आवाज,
“अपने हत्यारों को सज़ा दिलाने,
पुनर्जन्म ले कर भी आऊंगी”
वाह ओज से भरपूर, शानदार कविता
समीक्षा के लिए धन्यवाद सतीश जी , ऐसी घटनाओं को सुन कर हृदय बहुत विचलित हो जाता है । ऐसे लोगों का तो तुरंत ही फांसी का प्रावधान होना चाहिए ।
बहुत सही बात कही आपने।
सही कह रहे हैं सतीश जी आप
भावपूर्ण अभिव्यक्ति
मार्मिक पंक्तियां
धन्यवाद प्रतिमा जी
गीता मैम मैंने भी इस दुखद घटना पर अपने भाव प्रकट किए हैं , कृपया अपने कीमती समय में से थोड़ा सा समय मेरी रचना को प्रदान करें 🙏 धन्यवाद
बहुत ही सच्ची प्रस्तुति, आपकी लेखनी से जैसी उम्मीद रहती है वैसी कविता प्रस्फुटित होती है
समीक्षा हेतु बहुत बहुत धन्यवाद रमेश जी । प्रयास करूंगी भविष्य में भी मेरी लेखनी आपकी उम्मीदों पर खरी उतरे 🙏
अतिसुंदर मार्मिक भाव
बहुत बहुत धन्यवाद आपका भाई जी 🙏
अत्यन्त मार्मिक