आ गया तेरा भाई…!

आज बहुत व्यथित थी
बार-बार निगाहें दरवाज़े
तक जाकर लौट आ रही थीं….
ना जाने कहाँ रह गए वो!
मेरा बेचैन मन
मुझे अधीर कर रहा था….
कहा तो था जल्दी ही
आ जाऊंगा
ना जाने कहाँ रह गए वो!
जितनी बार गली से
कोई आहट आती
मन की गति से भी जोर
मैं भागती
दरवाज़े पर निहारती
और हताश होकर
लौट आती…
ना जाने कहाँ रह गए वो!
तभी बाहर से आवाज आई
कहाँ हो बहना!
मन प्रसन्नता से
झूम उठा
आँखों में चमक आई
मेरी बेचैनी ने
मुझे छोंड़कर जाते हुए कहा
लो आ गया तेरा भाई…

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Responses

  1. अरे वाह, बहुत सुंदर रचना।भाई – बहन के स्नेह को दर्शाती हुई बेहद खूबसूरत

  2. किस्मत वालों को प्यार मिलता है
    नसीब वालों को साथ मिलता है
    बहुत ही अनकहे किस्से हैं बचपन के
    ढूंढो उसी में अपना भी प्यार मिलता है|

    क्या जरूरत थी बढ़कर पीछे जाना,
    क्या जरूरत थी कुछ ऐसी बातें कहना|
    पवित्र प्यार होता है बहन भाई का,
    रोक पाए ना इसे कोई जमाना|

    बहुत खूबसूरत रचना
    ✍✍👌✍✍✍✍✍✍

  3. इतनी सुन्दर समीक्षा के लिए शुक्रिया आपका
    आप हमेशा मेरा उत्साह वर्धन किया करते हो

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