इक़रार
इक इन्तज़ार में रहे
कोई अपना हमें प्यार करें
हमें जाने समझें
हमसे हमारी अच्छाइयों का
इज़हार करें!
दुख से भागते रहे
सुख का दामन थामने चले
एक नयी खुशी की तलाश में
भागते दौङते फिरे
क्यूँ न खुद से खुद का
साक्षात्कार करें!
अहमियत को समझें
खुद पर भरोसा रखें
साहस के साथ जियें
सुरक्षित दायरे में रहे
श्रेष्ठता का खुद से
इक़रार करें!
हर व्यक्ति के जीवन में एक खालीपन होता है और आपने उसी खालीपन को अपनी कविता का विषय बनाना है..
भावुक कर दिया आपकी रचना ने मुझे काश ! कोई ऐसा होता…
सादर धन्यवाद प्रज्ञाजी
अपने जीवन के खालीपन को आपने बहुत सुंदर तरीके से कविता रूप में ढाल दिया है,सुमन जी ।
सुन्दर अभिव्यक्ति
बहुत बहुत धन्यवाद गीता जी
Beautiful
Thanks Anuji