इक नई कहानी

#सुप्रभात_मित्रों
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नवभाव लिए
है गीत मेरा,
याद रहे यह, तुम्हें जुबानी
मैं लिखता हूँ उम्मीद भरी,
इक नई कहानी |

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हो मस्त मगन,
लें चूम गगन,
उर में उठती, लहर सुहानी |
मैं लिखता हूँ उम्मीद भरी,
इक नई कहानी |

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जो है दलदल,
कर दूं मखमल,
बंजर भू-सी, रीत पुरानी |
मैं लिखता हूँ उम्मीद भरी,
इक नई कहानी |

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ये लक्ष्य तेरा,
तू भेद जरा,
हो राह भले, दृढ़ अनजानी |
मैं लिखता हूँ उम्मीद भरी,
इक नई कहानी |

^^^^^^^^०००^^^^^^^^^
श्रम के निर्झर,
झरते झर-झर,
हो जाये मन, निर्मल पानी।
मै लिखता हूँ उम्मीद भरी,
इक नई कहानी।।

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रचना-#राजेंद्र_मेश्राम_नील*

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