इक लौ जलाकर आया हूं अंधेरों में कहीं

इक लौ जलाकर आया हूं अंधेरों में कहीं
ख्वाहिश है के वो कल तक सूरज बन जाये

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कभी कभी सोचती हूँ अगर इस पल मेरी साँसें थम जाये और इश्वर मुझसे ये कहने आये मांगो जो माँगना हो कोई एक अधूरी इच्छा…

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