Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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सोचा था जो वो पुरा ना हो सका
सोचा था जो वो पुरा ना हो सका बदलते हालात को देख मैं अपना ना हो सका आंखों के आंसूओं को मैं अपने पोंछ ना…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
मां तूं दुनिया मेरी
हरदम शिकायत तूं मुझे माना करती कहां निमकी-खोरमा छिपा के रखती कहां भाई से ही स्नेह मन में तेरे यहां रह के भी तूं रहती…
इज़हार
तुझे जाने की जल्दी थी, और मैं रोक ना सका, काश तू थोड़ा इंतजार कर पाता। तेरे जाने के बाद उतरे, जो बेतहाशा कागज़ पे,…
हम तेरे वादों की जब गहराई में उतरे।
हम तेरे वादों की जब गहराई में उतरे। सदमा सा लगा जब सच्चाई में उतरे।। , तुमको ढूंढते रहें थे महफिल महफिल। पर सुकून मिला…
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