Categories: शेर-ओ-शायरी
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शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
घर और खँडहर
घर और खँडहर ईटों और रिश्तों मैँ गुंध कर मकान पथरों का हो जाता घर ज्यों बालू , सीमेंट और पानी…
चाहती हूँ मैं
दौङना चाहती हूँ मैं, क्या मुझे वो राहें दोगे? दुनिया को देखना चाहती हूँ मैं, क्या मुझे वो नज़रें दोगे? अपने दिन और रातों को…
शायरी संग्रह भाग 1
मुहब्बत हो गयी है गम से, खुशियाँ अच्छी नहीं लगती। पहले दुश्मन मुहब्बत करते थे, अब दोस्त नफरत करते हैं।।1।। विकास कुमार कमति.. बदलते…
आपका प्यारा बच्चा
माँ मैं फिर जीना चाहती हूँ, आपका प्यारा बच्चा बनकर, माँ मैं फिर सोना चाहती हूँ, आपकी गोद का झूला लेकर, माँ मैं फिर से…
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