इश्क का चक्रव्यूह * आर्यन
आर्यन सिंह के मोहब्बत के रास्ते मे इम्तिहानो का सिलसिला दर्शाती ये नई कविता “-
फंसा इश्क के चक्रव्यूह मे मिलता ठौर नही है
सभी विरोधी हुए आज कोई मेरी ओर नही है
नही किसी को दोष यहां मैं खुद ही गुनाहगार हूँ
प्यार जताने चला बना नफरत का शिलाधार हूँ
फलते फूलते उध्यानों की धीमी पड़ी बहार हूं
सब दर्दों को छुपा लिया क्या उम्दा कलाकार हूं
गम के अंधकार मे क्या नवउदिता भोर नही है
सारे विरोधी हुए आज कोई मेरी ओर नही है !!
इश्क बहुत बेरहम हुआ दिल तंग हुआ अजमाने में
उनमे भरा गुमान बहुत ये पता चला अफसाने में
इतना भी कमजोर नही कि डर जाऊं प्यार जताने में
अब मैं किससे डरूं हूँ पहले ही बदनाम जमाने में
साबित क्यों कर रहे अमन इज्जत का दौर नही है
सारे विरोधी हुए आज कोई मेरी ओर नही है !!
मजबूरी मे फंसा समझ कुछ आता नही है मन में
दर्द भरा है सीने मे और कंप पड़ गया तन में
किस मोड़ पे खड़ी जिन्दगी मेरी वक्त बड़ा उलझन में
इम्तिहान पर इम्तिहान मिल रहा हमें क्षण क्षण में
थाम रखा है कहर अभी गर्दिश का शोर नही है
सारे विरोधी हुए आज कोई मेरी ओर नही है !!
रचनाकार-
*आर्यन सिंह यादव*
( आधुनिक रचनाकार )
👍🏻
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ, सुन्दर प्रस्तुति
बहुत सुंदर रचना
सुन्दर रचना
बहुत सुन्दर प्रस्तुति है आपकी
बहुत खूब