इश्क का मारा (शायरी)

कोई गरीबी का मारा ,
कोई बदनसीबी का मारा ,
कोई वक्त से परेशान हैं ,
कोई अपनों का मारा ।
मगर वो बेपरवाह सा,
मगन अपने दर्द में,
जो है इश्क का मारा।

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