इस बार दिवाली में
पापा! दिवाली आने वाली है
इस बार धनतेरस में क्या लोगे?
हवेली वाले दोस्त के पापा
उसके लिए
गियर वाली साईकल ले रहे हैं।
पड़ौस के दोस्त के पप्पा, उसके लिए
बिग कार ले रहे हैं,
कोई कुछ ले रहा है
कोई कुछ ले रहा है।
पापा! आप क्या लेंगे,
बेटा!!
जो लेना है
अगली बार लेंगे,
जब कोरोना के बाद
दुबारा कहीं मेरी
जॉब लग जायेगी,
तब तक दाल रोटी
चल जाये,
संसार से रोग दूर हो जाये,
शहर में काम शुरू हो जाये,
तब खूब काम करूंगा
जो चाहो खरीद लूँगा।
बच्चों की बाल सुलभ हठ का और कोरोना काल में उनके पिता का नोकरी चले जाने पर मजबूरी दर्शाने के भाव को बहुत ही खूबसूरती से वर्णन किया है कवि सतीश जी ने । सुन्दर प्रस्तुतिकरण
सुंदर कविता
अतिसुंदर