इस महफ़िल में
कुछ दीवाने थे , कुछ परवाने थे-
इस महफ़िल में,
शमां को जलाने के लिए सब थे बेताब-
इस महफ़िल में .
दर्द रक्काशा का कौन समझे यहाँ,
उसके हुस्न को ही चाहने वाले थे सब –
इस महफ़िल में .
पैसों कि ही खनक सुनाई देती है यहाँ,
दर्द जज्बात भावनाए -ये सब बेगाने है-
इस महफ़िल में .
Bahut khoob…badhaai ho
शुक्रियाजी
Good