उड़ान

टुकड़ों पर आपके तो पल नहीं रहे हैं,

नज़र घुमाकर देखिए आपके साथ चल रहे हैं।

आपसे भी ऊँची उड़ान भरने की हिम्मत रखते हैं,

कहीं इसी डर से तो नहीं आप हमारे पंख कतरते हैं।

काश! अपने साथ चलाने की आप हिम्मत कर पाते,

तो हम आपके और आप हमारे कुछ काम आ पाते

पता न था कि आप हमसे इतना डर जाएँगे, कि

गर्भ में ही हमें मारने की योजना बनाएँगे।

किसी तरह अगर धरती पर आ भी गए,

तो चार दिवारों में हमारा दम घुटवाएँगे।

फिर किसी बिचौलिए को बेच आएँगे।

और वो हमारा जीवन संघर्ष बनाएँगे।

पर तलवारें तो पत्थर पर ही तेज होती हैं,

आपने भी हमें संघर्षों से चमका दिया है।

हमें भी चलना, लड़ना, जीतना सिखा दिया है,

पैरों पर अपनी आज हम चल रहे हैं,

अपने अस्तित्व के लिए खुद ही लड़ रहे हैं,

टुकड़ों पर आपके तो पल नहीं रहे हैं,

नज़र घुमा के देखिए आपके साथ चल रहे हैं।।

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