उदासी का आलम

उदासी का आलम
इस कदर छाया है
रूबरू मेरे एक धुंध छाया है
हौसले पंख लगा के उड़ने
को तैयार हैं पर
मेरे पंखों को किसी ने
काटकर गिराया है..

Related Articles

कविता : हौसला

हौसला निशीथ में व्योम का विस्तार है हौसला विहान में बाल रवि का भास है नाउम्मीदी में है हौसला खिलती हुई एक कली हौसला ही…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

मनमर्ज़ियाँ

चलो थोड़ी मनमर्ज़ियाँ करते हैं पंख लगा कही उड़ आते हैं यूँ तो ज़रूरतें रास्ता रोके रखेंगी हमेशा पर उन ज़रूरतों को पीछे छोड़ थोड़ा…

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

Responses

+

New Report

Close