उनके बिन
मिला हुआ प्रेम खोना मत
दिल मेरे जोर से तू रोना मत
शूल चुभ जायें उनकी राहों में
ऐसे बीजों को आज बोना मत।
अब पता खुद का तू बदल लेना
ताकि पाऊं नहीं मैं उनका खत,
खुद की नजरों में गिर पडूँ चाहे
खोज लूँ खो गई स्वयं इज्जत।
आ रही नींद को रोकूँ कैसे
उनके बिन अश्क को सोखूँ कैसे,
शूल गमले में दिल के उग आये
फूल रंगीन मैं रोपूं कैसे
हो सके तो कभी भी आ जाना
बैठ पलकों में मन लुभा जाना
दो घड़ी देख कर के खिल जाऊं,
उनके नैनों से आज मिल आऊं।
बहुत खूब
सादर धन्यवाद
शानदार रचना
बहुत धन्यवाद
रहस्यवाद से परिपूर्ण कवि सतीश जी की बेहद शानदार प्रस्तुति, सुंदर शिल्प ,सुंदर कथ्य लिए हुए एक उत्कृष्ट रचना
इस सुन्दर समीक्षा हेतु बहुत बहुत धन्यवाद गीता जी
लाजवाब अभिव्यक्ति
Very true line