उफ्फ़

उफ्फ़ ,यह सर्द हवाऐं
मद्धम सा सूरज
ना बाहर बैठा जाए
ना भीतर चैन आए।

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

आ गया सूरज

वृक्षों पर आ गया सूरज, धरा पर छा गया सूरज। बिखराकर अपनी स्वर्ण रश्मियाँ, गीत कोई गा गया सूरज। हल लेकर निकल पड़े किसान, देखो…

Responses

+

New Report

Close