उम्मीद

उम्मीद

ना जाने क्यो लोग
मेरे उम्मीदो को
कुचलते रहते हैं
मिठी-मिठी बाते करके
दिल को
छलते रहते हैं
खौफ जमाते अपने पन का
बातो बतो में
रौदा करते हैं
दर्द भरी जज्बातो को
हॅस कर
उडाया करते हैं
भरोसा का वास्ता देकर
मजाक बनाया
करते हैं
खुशियो कि आशियाने में
चिंगारी भडकाया
करते हैं
मेरे जिन्दगी कि वसुलो को
ना जाने क्यो
नहीं समझते हैं
बात-बात पर माफी
माॅगकर जलील
हमें करते हैं

महेश गुप्ता जौनपुरी
मोबाइल – 9918845864

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