ऋतुराज बसंत
ऋतुराज बसंत फिर आया है,
जड़ पतझड़ फिर मुस्काया है।
पेड़ पर हैं नव कोपल फूटी,
फिर कोयल ने राग सुनाया है।
पिली – पिली सरसों लहराई,
भीनी खुशबू को महकाया है।
छिप कर के बैठे थे जो पंक्षी,
सबने मिलके पंख फैलाया है।
हर्षित हुआ फुलवारी सा मन,
तितली बन फिर मंडराया है।
सरस्वती माँ की अनुकम्पा से,
क्या लिखना हमको आया है।
राही कहे खुलकर सबसे की,
ऋतुराज बसंत फिर छाया है।।
राही अंजाना
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Geeta kumari - February 16, 2021, 9:25 pm
बसन्त ऋतु पर सुन्दर रचना
राही अंजाना - February 16, 2021, 9:56 pm
आभार
Pt, vinay shastri 'vinaychand' - February 17, 2021, 7:42 am
वाह वाह क्या बात है
अतिसुंदर रचना!!!!!!!
sunil verma - February 17, 2021, 11:23 am
सुन्दर
राही अंजाना - February 26, 2021, 3:34 pm
आभार
Satish Pandey - February 22, 2021, 3:40 pm
हर्षित हुआ फुलवारी सा मन,
तितली बन फिर मंडराया है।
सरस्वती माँ की अनुकम्पा से,
क्या लिखना हमको आया है।
—— बहुत सुंदर पंक्तियों से सजी अनुपम रचना, वाह, अत्युत्तम भाव।
राही अंजाना - February 26, 2021, 3:33 pm
आभार