मुश्किल है ये सफर फिर भी हौसला कभी भी डिगता नहीं
ठण्ड परीक्षा लेती है पर ये हौसला कभी भी झुकता नहीं
चार दीवारी के सपनो को हम कहा से जाने
इस नीले आकाश को ही अपना छत हमेशा माने
सर्दी में ठिठुरते शरीर की उम्मीदें मात न खाती है
कभी अलाव की गर्मी जीने की राह दिखा जाती है
दिन तो काट जाती है लेकिन रात बहुत तड़पाती है
घटते हुए तापमान के एहसास से रूह काँप सी जाती है
कभी सर्दी की तेज़ हवाएं जीना सा मुश्किल कर जाती है
फिर भी अगले दिन का सूरज एक आस सी जगा सा जाता है
ताकत की न सही, इंसान होने की तो हममे समानता है
मानवता के मतलब को इंसान ही तो जानता है
आओ मिलकर हम सब हाथ बढ़ाये और
ठंडी से ठिठुरते लोगो को उनके साथ होने का एहसास कराएँ
ठण्ड परीक्षा लेती है पर ये हौसला कभी भी झुकता नहीं….sahi kaha manish ji
Thank you ji