Categories: शेर-ओ-शायरी
पंकजोम " प्रेम "
तराश लेता हूँ सामने वाले की फितरत ......
बस एक ही नज़र में .....
जब कलम लिख देती है , हाल - ए - दिल ....
तो कोई फ़र्क नहीं रहता .....
जिंदगी और इस सुख़न - वर में....
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Lafzo se baandh diya aapne to….padne Wala bina taareef kite nahi raha sakta
कुछ अलग रंग जमता है , हमारी महफ़िल में ….
कभी फुर्सत मिले तो जरूर शरीक होइएगा …..पन्ना भाई …..
इक बार शरीक हुए थे हम किसी महफ़िल में
उनको देखा पहली दफ़ा,
चढा रंग ऐसा कि
अब तक उतरा नहीं
अब कोई रंग चढने की गुंजाईश नहीं….
SubhanallaH
धन्यवाद
पहले से ही शरीक है हम हर उस महफिल में
जिसमें आप हो और आपके अल्फ़ाज हों
अति उत्तम विचार ….
अनुपम
Sukkriyaaa bhai
दौलत से सब बन जाते है अमीर …
लेकिन तुझमे मैं , वो दिल वाला अमीर ढूंढता हूँ
वाह वाह
अति उत्तम