एक जंजीर ढूंढता हूँ ..

मुझे हमेशा तुम से बाँधें रखेँ ….

इस क़ायनात में , ऐसी एक जंजीर ढूंढता हूँ …..

 

दौलत से सब बन जाते है अमीर …

लेकिन तुझमे मैं , वो दिल वाला अमीर ढूंढता हूँ …..

 

बांवरा , मगर थोड़ा सयाना बन ….

पार हो जाये तेरे दिल के….

मैं तरकश में ,  वो मोहब्त का तीर ढूंढता हूँ ….

 

पंकजोम ” प्रेम “

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जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

Responses

      1. इक बार शरीक हुए थे हम किसी महफ़िल में
        उनको देखा पहली दफ़ा,
        चढा रंग ऐसा कि
        अब तक उतरा नहीं
        अब कोई रंग चढने की गुंजाईश नहीं….

      2. पहले से ही शरीक है हम हर उस महफिल में
        जिसमें आप हो और आपके अल्फ़ाज हों

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