एक दिन
एक दिन, ऐसे ही मैंने कोशिश की ,
खुद को खुद में ढूंढने की,
अपने वजूद को ;
गहराइयों में टटोलने की,
अरे! कौन हूं मैं?
लिंग ,नाम, पहचान ,
गौत्र, जाति ,धर्म,देश,
सब पर विचार किया,
फिर भी संतुष्टि नहीं मिली।
फिर अचानक, मन से आवाज आई ,
इन्सान हो और कुछ भी नहीं।
Very nice
बहुत बहुत धन्यवाद 🙏
nice poetry
बहुत बहुत आभार 🙏
बहुत खूब
सादर धन्यवाद 🙏 सर
सुन्दर एवम् सत्य
बहुत सुंदर