एक बार यमराज आया धरती पर

एक बार यमराज आया धरती पर।
सोच में पड़ गया मानव को देखकर।।
क्या खुशनसीब हैं ये इन्सां।
मरणशील को कारें कारें
मैं अमर यमराज को केवल भैंसा।।
देखा सोचा झल्लाना बैठ गया सिर ठोंककर।
एक बार यमराज आया धरती पर।।
कुछ क्षण बीता नजरें दौड़ा।
दिखा नहीं कुछ आवाजें आई।।
नारेबाजी कर ले हाथ में झंडा।
दौड़ रहे हैं साथ साथ मुस्टंडा।।
पूछन लागे यमराज महाशय
हाथ जोड़ विनती कर।। एक बार
भाई साहब बतलाओ
क्या कर रहे आप लोग।
भजन -कीर्तन,कथा- वार्ता
जप- तप या दान -भोग।।
हट जा दोसिंघा नाटक से भागा अभिनेता।
काम कर रहा हरताल का मैं हूँ कर्मठ नेता।।
न काम करे न करने दे जाए बेकारी किधर।। एक बार
बेकारी खतम होगी
हरताल करो -हरताल करो।
कोई कहीं न काम करे
पड़ताल करो -पड़ताल करो।।
यमराज ने कहा कामगारों को बेकार बनाकर।
बेकारी कैसे दूर करोगे मुझे बताओ समझाकर।।
नेताजी सोचे क्यों न दूँ
भाषण हाथों को चमकाकर।।
एक बार यमराज आया धरती पर
नेताजी बोले भैया!
मैं मजदूर यूनियन का नेता।
मेरे पीछे भोली जनता
जनता को मैं क्या देता।।
जनता मेरे पीछे -पीछे
मैं जनता के आगे।
मुखिया सरपंच विधायक
बन जाऊँ एम पी आगे।।
जनता सीखेगी मुझसे
ये संदेशा पाकर।। एक बार
ऐ मेरे माँ -बाप-भगवान
सुन लो मेरी वाणी।
तुम जनता हो
तुम डंडा हो
पीटो-पीटो ,पीट -पीटकर
घी निकलेगा
यद्यपि थोड़ा पानी।।
एक पाँव ,दो पाँव
तीन पाँव या बिना पाँव के।
भागेगी तेरे पीछे सब जनता
शहर शहर या गाँव गाँव के।।
मैं तो केवल एम पी ठहरा
तुम ठहरोगे पी एम होकर।। एक बार यमराज आया धरती पर।।
पी एम बनना क्या भारी है
तुझे महासचिव बनाऊँ राष्ट्रसंघ का।
अब क्या बोलूँ सोच रहे
बहुत पिलाया शर्बत सबको भंग का।।
हर कीमत पर वोट सब देना
जब आऊँ चुनाव में खड़कर ।।
एक बार यमराज आया धरती पर
नशा चढ़ा यमराज को भी
ये भी क्या जीना है।
राज मिला यमलोक का
पर मुर्दों में जीना है।।
यमलोक मिल जाए खाक में
अब धरती पर हीं रहना है।
नेता बनूँ कामचोर पर
इसके ठाठ का क्या कहना है।।
‘विनयचंद ‘ भगवान बचाए
आफत आई सिर पर।। एक बार यमराज आया धरती पर।।

पं. विनय शास्त्री ‘विनयचंद ‘
बस्सी पठाना ( पंजाब)

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Responses

  1. बहुत खूब शास्त्री जी, अति उत्तम रचना। लेखनी के सतत प्रवाह की जितनी तारीफ की जाय वह कम है।

  2. वाह भाई जी यमजरज को भी चौंका दिया आपने तो अपनी कविता में
    बहुत खूब ,….सुन्दर रचना

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