Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
तुम
तुम कुछ यूँ ज़रूरी बन गए कि तुम्हे भुला ना सकी, इस बात को किसी और को बता ना सकी, इस दिल का भोज कभी…
हे!री सखी कैसे भेजूं
“गीत” :::::::::::: हे!री सखी कैसे भेजूं , प्रिय को प्रणय निवेदन। दूर देश विदेश भय हैं वो मन का मेरे प्रिय साजन। हे! री सखी…
गीत
“गीत” :::::::::::: हे!री सखी कैसे भेजूं , प्रिय को प्रणय निवेदन। दूर देश विदेश भय हैं वो मन का मेरे प्रिय साजन। हे! री सखी…
सखी
ऐसी क्या बात है सखी, क्या हो तुम मुझसे नाराज सखी करके चुनरी का ओला सखी, क्यूं कर दिया अबोला सखी ना कोई संदेश ना…
बहुत ही उच्च कोटि का लेखन मनोहर से अपनी सखी को मनाते हुए रचना
Tq
जी बिल्कुल बहुत-बहुत धन्यवाद आपका