एतराज़
भीड़ बहुत है भागदौड़ भी बहुत इस ज़माने में,
बस यही वो डर है मैं उसे आप सबसे छुपाता हूँ,
हर तरफ शोर मचा है सबको रौशनी से परहेज है,
इसी एतराज़ के चलते मैं उसे अंधरों में जगाता हूँ,
लोगों के कहने में लोग बड़ी आसानी से आते हैं,
एक मैं जितना उसे भुलाऊँ उतना करीब पाता हूँ,
करना हो किसी को करता रहे इंतज़ार उम्र भर,
मैं बेसबर आपको इशारों में सारा सच बताता हूँ,
वो एक चादर ए चराग है जिसे ओढ़ता बिछाता हूँ,
बाज़ू तो एक ही काफी है जिससे मैं उसे उठाता हूँ,
मैं जिसे अपने दिल की हर एक तहरीर सुनाता हूँ,
चलो मूड में हूँ आज आपको वो तस्वीर दिखाता हूँ।।
राही अंजाना
Nice
Nice
धन्यवाद
Good
धन्यवाद
वाह
धन्यवाद
बहुत खूब
धन्यवाद
Bus yahi dar
धन्यवाद
Nice