ए वक्त बात बता क्या थी
ए वक्त तू गवाह है मेरा,
तू बात, बता क्या थी
हम बिछड़ गए, मेरी खता क्या थी
हजारों बंदिशें भी थीं,हजारों मिन्नतें भी की
समझा ना ये ज़माना ,ये बात पता क्या थी
वो माने नहीं, मेरी दलीलों को कभी,
इससे बड़ी सज़ा क्या थी
ना सोचा था, ना समझा था कभी ,
कि ऊपर वाले की रजा क्या थी
Nice
Thank you 🙏
आपके शब्दों से प्रेरित
न बंदिशें रोक पायी तुझे
न मिन्नतों का असर हुआ तुझ पर
ए दिल बता आखिर
जहां ए इश्क में ऐसा किया दिखा
😊🙏…Thank you
बहुत ही लाजवाब व बेहतरीन प्रस्तुति
धन्यवाद 🙏
श्रृंगार के वियोग पक्ष का सुंदर वर्णन है, अरबी फ़ारसी शब्दों का प्रयोग सुंदर तरीके से हुआ है. वाह
बहुत बहुत धन्यवाद सतीश जी 🙏
👌👌
सोचा था, ना समझा था कभी
Nice